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पतंजलि परिसर में 07 से 11 सितम्बर तक आयोजित संत सम्मेलन सम्पन्न
भारत के दिव्य पुनर्निर्माण के संकल्प सहित संपन्न पतंजलि का संत सम्मेलन
वेदों के उत्थान हेतु श्री गोविन्द गिरि जी महाराज को पतंजलि की ओर से दी गयी एक करोड़ की राशि
करोड़ों भारतीयों को देश की मौलिकता से जोड़ने में सफल हो रहा पतंजलि अभियान – मोहन भागवत
मोहन भागवत जी ने संघ के साथ-साथ संस्कृति की गरिमा को बढ़ाया-स्वामी रामदेव विश्व की समस्याओं का सदियों से समाधान देता रहा है भारत-आचार्य बालकृष्ण
हरिद्वार, 11 सितम्बर, 2017- पतंजलि योगपीठ परिसर में आयोजित पांच दिवसीय संत सम्मेलन आज हर्षोल्लसपूर्ण वातावरण में सम्पन्न हुआ। पतंजलि योगपीठ एवं राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के अनुसांगिक संगठन धर्मजागरण मंच के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस सम्मेलन के अंतिम दिन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सर संघ चालक श्री मोहन भागवत जी, पतंजलि योगपीठ के परमाधयक्ष पूज्य योगऋषि स्वामी रामदेव जी महाराज, पतंजलि योगपीठ के महामंत्री श्रद्धेय आचार्य बालकृष्ण जी महाराज, श्री गोविन्द गिरि जी महाराज, स्वामी हरिहरानन्द जी महाराज सहित अनेक संतों ने अपने विचार रखे और भारत के दिव्यता युक्त पुनर्निर्माण का संकल्प लिया गया।
इस अवसर पर सर संघचालक श्री मोहन भागवत जी ने कहा पतंजलि योग, आयुर्वेद, भारतीय संस्कृति व भारत के ज्ञान-विज्ञान के उत्थान के लिए कार्य करने वाला एक अनोखा आधयात्मिक संगठन है। उन्होंने कहा स्वामी जी व आचार्य श्री ने योग-आयुर्वेद व भारतीय संस्कृति परक आंदोलन के माधयम से करोड़ों भारतीयों को देश की मौलिकता से जोड़ा है। संघ का भी यही अभियान है, हमारी संस्कृति का काम किसी का विरोध करना नहीं है, अपितु लोगों को सुविचार देना है। हम लोगों को सुख के राह पर व विश्व को मानवता की राह पर ला रहे हैं। उन्होंने कहा भारत के सभी पूर्वज हिन्दू ही हैं।
सम्मेलन को संबोधित करते हुए पूज्य योग ऋषि स्वामी रामदेव जी महाराज ने कहा संत हमारी संस्कृति के प्राण हैं। सम्पूर्ण मानवता के पथ प्रदर्शक हैं। इनकी जीवन शैली से देश के करोड़ों नागरिक प्रेरणा-प्रकाश पाते हैं। स्वामी जी ने कहा संत सम्मेलन में पांच दिन चला यह मंथन देश की इस महान परम्परा की रीति-नीति तय करेगा। उन्होंने कहा मोहन भागवत जी ने संघ के साथ-साथ संस्कृति की गरिमा को बढ़ाया है।
पतंजलि योगपीठ के महामंत्री श्रद्धेय आचार्य बालकृष्ण का दिन स्वामी विवेकानन्द जी द्वारा शिकागो में दिये गये भाषण का दिवस है। आचार्य श्री ने कहा संघ एक प्रकार से संतों का ही संघ है। राष्ट्रनिर्माण में समर्पित हर साधक की भूमिका संत के समान है। आचार्य श्री ने कहा विश्व की समस्याओं को सदियों से समाधान देता रहा है भारत। भारतीय संस्कृति को हमारे ऋषियों ने तप-त्याग के बल पर दुनियां की सबसे जीवंत संस्कृति बनाया है। आज जब सम्पूर्ण विश्व समाधान के लिए भारत की ओर निहार रहा है। ऐसी परिस्थिति में हमारे साधु-संतों की भूमिका बढ़ जाती है। क्योंकि हमारे साधु-संत हमारे राष्ट्र के आदर्श हैं और इनके व्यक्तित्व से हमारी प्राचीनतम कल्याणकारी धरोहर योग, आयुर्वेद, वेद, उपनिषद संस्कृति एवं ज्ञान-विज्ञान की परम्परायें अभिव्यक्ति पाती हैं।
कार्यक्रम के दौरान वेदों के उत्थान में अहर्निश पुरुषार्थरत श्री गोविन्द गिरि जी महाराज को पतंजलि की ओर से एक करोड़ रुपये की राशि भेंट की गयी। पतंजलि की ओर से प्रदत्त यह राशि सर संघचालक मोहनभागवत जी ने श्री गोविन्द गिरि जी महाराज को सौंपी। मोहन भागवत जी के जन्म दिवस पर पतंजलि की ओर से पूज्य स्वामी रामदेव जी महाराज एवं आचार्यश्री, प्रद्युम्न जी महाराज ने उन्हें भारतीय संस्कृति की प्रतीक स्वरूप हनुमान गदा भेंट की और पतंजलि संत सम्मेलन में उपस्थित सैकड़ों संतों ने शुभकामनायें दीं।