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(23-फ़रवरी-2017) पतंजलि विश्वविद्यालय में वार्षिक खेल महोत्सव अभ्युदय-2017 प्रारम्भ
विश्वविद्यालय के छात्र-छात्रएं हर्ष पूर्वक खेल वार्षिकोत्सव में कर रही हैं सहभागिता
राष्ट्रनिर्माण-विश्वनिर्माण की प्रयोग स्थली होते हैं विश्वविद्यालय-आचार्य बालकृष्ण
सम्पूर्ण देश की शिक्षा व्यवस्था में परिवर्तन लाना हमारा संकल्प-स्वामी रामदेव
हरिद्वार, 23 फरवरी। पतंजलि विश्वविद्यालय में अभ्युदय-2017 नाम से आयोजित हो रहे वार्षिक खेल महोत्सव के आज तीसरे दिन दस से अधिक प्रतियोगिताओं का फाइनल प्रदर्शन किया गया। पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलाधिपति पूज्य योगऋषि स्वामी रामदेव जी महाराज आज की प्रतियोगिता के मुख्य अतिथि थे। उन्होने पतंजलि विश्वविद्यालय परिसर में पहुंचकर स्वयं बच्चों के साथ बालीबाल आदि खेल खेलकर उनका उत्साहवर्धन भी किया।
18 से 24 फरवरी तक चलने वाले इस वार्षिक खेल महोत्सव में कबड्डी, क्रिकेट, फुटबाल, खो-खो, वालीबाल, बैडमिंटन, दौड़, कुश्ती, गोलाफेंक एवं रस्साकसी सहित अनेक गेम आयोजित किये जा रहे हैं, जिसमें विश्वविद्यालय के समस्त छात्र-छात्रयें एवं शिक्षकगण बढ़-चढ़कर हिस्सेदारी कर रहे हैं।
इस अवसर पूज्य स्वामी जी महाराज ने छात्र-छात्रओं एवं शिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा कि हर युवा विद्यार्थी के सर्वांगीण विकास के लिए श्रेष्ठ पुरुषार्थ, श्रेष्ठ वातावरण, श्रेष्ठ प्रशिक्षण व श्रेष्ठ प्रशिक्षकों की आवश्यकता होती है। इसी से युवा में क्षमता, प्रतिभा, कुशलता एवं अन्य दिव्यताओं को पूर्ण रूप से विकसित करना सम्भव हो पाता है। उन्होंने कहा पतंजलि विश्वविद्यालय, आचार्यकुलम, पतंजलि कन्यागुरुकुलम व पतंजलि गुरुकुलम सहित सम्पूर्ण पतंजलि योगपीठ परिसर में श्रेष्ठ व्यक्तित्व गढ़ने के ये सभी संसाधन सहज सुलभ हैं।
स्वामी जी ने बताया कि देश के करोड़ों अन्य विद्यार्थियों को भी इसका लाभ मिले इस निमित्त सम्पूर्ण देश की शिक्षा व्यवस्था में सकारात्मक परिवर्तन लाना हमारे संकल्प में है। क्योंकि विश्वविद्यालय से तैयार हुए योग्य साधक दुनियां को बदलने की शक्ति रखते हैैं।
पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलपति एवं योगपीठ के महामंत्री श्रद्धये आचार्य बालकृष्ण जी महाराज ने इस अवसर पर विद्यार्थियों को उनके सर्वांगीण विकास के लिए शुभ कामनायें दीं तथा कहा भारत करोड़ वर्ष पहले से ज्ञान-विज्ञान, पराविद्या, अपराविद्या, भौतिक व आधयात्मिक सभी दृष्टि से सर्वोच्च शिखर पर था। उस महान राष्ट्र के नागरिक होने के नाते हमें अपनी मातृभूमि तथा महान पूर्वजों की तरह आचरण का संकल्प लेना होगा। तभी हम विश्व नेतृत्व करने में सफल होंगे। यह वार्षिकोत्सव भारत के उसी अभ्युदय की दिशा में महत्वपूर्ण कदम कहा जा सकता है। आचार्य श्री ने कहा विश्वविद्यालय राष्ट्रनिर्माण-विश्वनिर्माण की प्रयोग स्थली होते हैं।
इस अवसर पर प्रतिकुलपति श्री कुलवंत सिंह जी, कुलसचिव प्रो- डॉ जी- डी- शर्मा जी, डॉ गोविन्द प्रसाद मिश्रा, डॉ रुद्र भंडारी, डॉ वैशाली गौड़, डॉ नरेन्द्र सिंह, कुमारी नैना फोगात सहित अनेक शिक्षकगण उपस्थित थे।