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(24-फ़रवरी-2017) पतंजलि विश्वविद्यालय में वार्षिक खेल महोत्सव अभ्युदय-2017 का समापन
राष्ट्रनिर्माण के संकल्प के साथ सम्पन्न पतंजलि विश्वविद्यालय का खेल वार्षिकोत्सव
भारत को महाशक्ति बनाने में होगा पतंजलि विश्वविद्यालय का महत्वपूर्ण योगदान-आचार्य बालकृष्ण
खेल महोत्सव के विजेता टीमों को आचार्य श्री ने किया सम्मानित
हरिद्वार, 24 फरवरी। पतंजलि विश्वविद्यालय में अभ्युदय-2017 नाम से आयोजित वार्षिक खेल महोत्सव आज हर्ष पूर्ण वातावरण में सम्पन्न हुआ। समापन अवसर पर पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलपति एवं योगपीठ के महामंत्री श्रद्धेय आचार्य बालकृष्ण जी महाराज ने प्रतियोगिता के सफल प्रतिभागियों की घोषणा की और उन्हें पुरस्कृत किया। बच्चों के उत्साह वर्धन के लिए कुछ खेलों में सहभागिता भी की। इस अवसर पर आचार्य श्री के साथ एमिटी विश्वविद्यालय के डीन डॉ जगदीश जी भी सम्मिलित हुए।
18 से 24 फरवरी तक चले इस पांच दिवसीय वार्षिक खेल महोत्सव में व्यक्तिगत स्पर्धा के साथ-साथ सामूहिक व विभिन्न कक्षाओं के बीच परस्पर प्रतिष्पधायें आयोजित की गयी थीं। इन प्रतिष्पर्धाओं के अंतर्गत व्यक्तिगत 100 मीटर दौड़ व्वायज में एम ए प्रथम वर्ष के श्री रवीन्द्र जी प्रथम, श्री परविन्दर जी द्वितीय एवं श्री वीरेन्द्र जी तृतीय स्थान पर रहे। वहीं गर्ल्स के 100 मीटर दौड़ में सुश्री दिव्य, शिवानी व छाया क्र्रमशः प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय रहीं। 400 मीटर रिले समूह दौड़ में क्रमशः बीए फाइनल प्रथम, एम ए व एमएससी द्वितीय एवं बीए प्रथम वर्ष को तीसरा स्थान मिला।
वहीं खो-खो गर्ल्स में बीए फाइनल विजयी रहा, जबकि कबड्डी व्वायज में बीए प्रथम विजेता घोषित हुआ। श्री वहीं हैण्डबाल में विश्वविद्यालय की वीए द्वितीय वर्ष की टीम विजेता घोषित हुई। जबकि 3000 मीटर की दौड़ में श्री हिमांसु जी, सुनील व प्रदीप क्रमशः प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान पर रहे। इस प्रकार कबड्डी, क्रिकेट, फुटबाल, खो-खो, वालीबाल, बैडमिंटन, कुश्ती, एवं रस्साकसी जैसे गेम में बढ़चढ़ कर विद्यार्थियों ने हिस्सेदारी की और उन्हें क्रमशः प्रथम, द्वितीय व तृतीय विजेता घोषित किया गया।
श्रद्धेय आचार्य बालकृष्ण जी महाराज ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि जैसे एक बीज में विराट वृक्ष छिपा होता है, वैसे ही हमारे विश्वविद्यालय के बच्चों में राष्ट्र व विश्व को दिशा देने की ऋषियों से जुड़ी महान विरासत संचित है। आचार्य श्री ने कहा कि पतंजलि विश्वविद्यालय खेल आदि बहुआयामी शैक्षिक प्रयोगों से भरी शिक्षण पद्धति के माधयम से उसे जाग्रत करने में सतत पुरुषार्थरत है।
आचार्य श्री ने कहा वर्तमान में पूरे विश्व का हम निष्पक्ष मूल्यांकन करते हैं तो 2050 तक एक मात्र भारत ही ऐसा देश दिखता है जो पुनः विश्व को आधयात्मिक, आर्थिक, सामाजिक व राजनैतिक दृष्टि से मार्गदर्शन व नेतृत्व दे सकता है। पतंजलि विश्वविद्यालय के छात्र-छात्रओं की उस महान भविष्य को बनाने में महान योगदान नजर आता है।
आचार्य श्री ने कहा श्रद्धेय स्वामी जी तमाम रूढियों, कुप्रथाओं, कुण्ठाओं से बाहर निकल कर योग, अधयात्म, संन्यास, स्वदेशी एवं वैदिक सत्य सनातन संस्कृति को वैज्ञानिकता पूर्वक समझकर राष्ट्र व विश्व की निःस्वार्थ सेवा-साधना कर रहे हैं। उन्होंने कहा वे अपने विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों से भी उसी सामर्थ्य को जगाने की अपेक्षा करते हैं। जिससे स्वयं का जीवन, समाज तथा यह सम्पूर्ण भारत एवं विश्व सुखमय एवं गौरवान्वित अनुभव करे।
इस अवसर पर प्रतिकुलपति श्री कुलवंत सिंह जी, पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो- डॉ जी- डी- शर्मा जी, डॉ गोविन्द प्रसाद मिश्रा, डॉ वैशाली गौड़, डॉ नरेन्द्र सिंह अनेक शिक्षकगण उपस्थित थे।