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(16-फरवरी-2017) पतंजलि विश्वविद्यालय एवं नव आचार्यकुलम परिसर का भूमि पूजन हर्षोल्लास पूर्वक सम्पन्न
इस नवनिर्मित परिसर से देश व विश्व स्तर पर दिव्य व्यक्तित्व युक्त नेतृत्व का विकास बनेगा सम्भव-पूज्य स्वामी रामदेव जी महाराज
- स्पोर्ट्स स्टेडियम, विशाल सभागार, स्विमिंगपुल, आधुनिक अनुसंधान शाला से सुसज्जित होगा यह विश्वविद्यालय परिसर
- संस्कृत, हिन्दी, अंग्रेजी सहित विश्व की अन्य भाषाओं का अधययन कर सकेंगे विद्यार्थी।
विश्व स्तरीय क्वालिटी एजूकेशन के लिए प्रसि) होगा पतंजलि विश्वविद्यालय का यह नवनिर्मित परिसर-आचार्य बालकृष्ण
हरिद्वार, 16 फरवरी। 5000 विद्यार्थियों वाले इस आवासीय पतंजलि विश्वविद्यालय एवं आचार्यकुलम के नवनिर्मित परिसर का शिलान्यास एवं भूमिपूजन पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलाधिपति योगऋषि पूज्य स्वामी रामदेव जी महाराज, पतंजलि योगपीठ के महामंत्री एवं पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलपति श्रद्धेय आचार्य बालकृष्ण जी महाराज के पावन कर कमलों से हर्षपूर्ण वातावरण में सम्पन्न हुआ। पतंजलि विश्वविद्यालय का यह परिसर विश्व स्तर की शैक्षिक एवं अनुसंधानात्मक गुणवत्ता से सुशोभित होगा। यहां के विद्यार्थी संस्कृत, राष्ट्रभाषा हिन्दी, अंग्रेजी सहित विश्व स्तर की अनेक भाषाओं का भी अधययन कर सकेंगे तथा यह परिसर योग के साथ-साथ साइंस, टेक्नोलोजी, मैनेजमेंट सहित अनेक आधुनिक विषयों की विश्व स्तरीय क्वालिटी एजूकेशन के लिए जाना जायेगा। चतुर्भाषा सिद्धांत के आधार पर देश के प्रत्येक प्रांत में पतंजलि विश्वविद्यालय की शाखाएं विस्तारित की जायेंगी।
भूमिपूजन अवसर पर पूज्य स्वामी जी महाराज ने अपने उद्बोधन में कहा प्राचीन काल से ही ऋषिज्ञान, वैदिकज्ञान, आर्षज्ञान परम्परा युगधर्म के अनुरूप अनुसंधान के साथ आगे बढ़ती रही है। यह शुभारम्भ उसी ऋषि परम्परा को आगे बढ़ाने का दिव्य प्रयोग है। स्वामी जी ने कहा यह नव निर्मित आचार्यकुलम व पतंजलि विश्वविद्यालय परिसर मनुष्य गढ़ने की टकशाल रूप में प्रतिष्ठित होगा, जिससे देश व विश्व स्तर पर दिव्य व्यक्तित्व युक्त नेतृत्व का विकास सम्भव बन सके।
स्वामी जी ने बताया कि इस परिसर के समान सम्पूर्ण देश भर में पतंजलि विश्वविद्यालय एवं आचार्यकुलम स्थापना की एक विराट श्रृंखला प्रारम्भ की जायेगी। स्वामी जी ने कहा ऋषियों की भाषा संस्कृत, राष्ट्रभाषा हिन्दी एवं अंग्रेजी के साथ ही युग की आवश्यकता के अनुरूप विश्व की अनेक भाषाओं को इस परिसर के पाठ्यक्रम में समाहित किया जायेगा। स्वामी जी ने कहा पतंजलि के शिक्षा अभियान की ओर से अन्य प्रांतों में स्थापित होने वाले ऐसे ही शाखा परिसरों में संस्कृत, हिन्दी, अंग्रेजी के साथ-साथ एक प्रांतीय भाषा को मिलाकर चतुर्भाषा सिद्धांत पर बल दिया जायेगा।
इस अवसर पर उपस्थित जनमानस को संबोधित करते हुए श्रद्धेय आचार्य बालकृष्ण जी महाराज ने बताया कि पतंजलि विश्वविद्यालय की शैक्षिक गुणवत्ता विश्व स्तर की होगी। आचार्य श्री ने कहा कि अभी तक हमारा पतंजलि विश्वविद्याल योग के रूप में जाना जाता था, लेकिन अब यह परिसर योग के साथ-साथ साइंस, टेक्नोलोजी, मैनेजमेंट सहित अनेक आधुनिक विषयों की विश्व स्तरीय क्वालिटी एजूकेशन के लिए भी जाना जायेगा।
आचार्य श्री ने कहा पतंजलि संकल्प एवं दृढ़ निष्चय का परिणाम है। श्रद्धेय स्वामी जी के संकल्प से योग, आयुर्वेद एवं स्वदेशी को नई ऊंचाइयां मिली हैं। देश में स्वदेशी ऋषि प्रणीत प्राचीन एवं अर्वाचीन शिक्षा के समन्वय से नयी पीढ़ी गढ़ने का स्वप्न इस नवनिर्मित आचार्यकुलम एवं पतंजलि विश्वविद्यालय परिसर से पूरा होगा। इस परिसर से देश की शिक्षा व्यवस्था से मैकाले का वहिष्कार एवं तक्षशिला-नालंदा वाली शिक्षा व्यवस्था की स्वीकार्यता बनेगी तथा भारत को विश्व मेें नयी पहचान दिलाने में मदद मिलेगी।
डॉ यशदेव शास्त्री जी, गुरुदेव प्रद्युम्न जी महाराज, स्वामी विवेकानन्द जी महाराज, महाराष्ट्र सरकार के प्रिंसिपल सेक्रेटरी एवं अन्य वहां के अधिकारीगण, पतंजलि विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति डॉ कुलवंत सिंह जी, आचार्यकुलम के निदेशक सहित, प्राचार्य, अन्य शिक्षक, अधिकारी, छात्रगण, बड़ी संख्या में पतंजलि योगपीठ के कर्मयोगी, पतंजलि वैदिक गुरुकुलम के छात्र-छात्रएं एवं कनाडा से पधारी नवदीक्षित संयासिनी बहिने व अन्य जनमानस की उपस्थित में वैदिक वास्तुपूजन एवं वैदिक यज्ञ के साथ भूमिपूजन का शुभारम्भ हुआ। इस अवसर पर विश्वविद्यालय की छात्रओं ने वैदिक राष्ट्रगान एवं विश्वविद्यालय के कुलगीत गायन के साथ अन्य सांस्कृतिक प्रस्तुतियों द्वारा भारत की शैक्षिक महानता को प्रदर्शित किया गया।
ज्ञातव्य कि पतंजलि विश्वविद्यालय अभी पतंजलि योगपीठ फेज-1 परिसर में संचालित है, जो अगले एक वर्ष में इस परिसर से संचालित की जायेगी।