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21 वीं सदी होगी योगसंस्कृति की सदी-स्वामी रामदेव
भविष्य में एक लाख करोड़ की चैरिटी का लक्ष्य निर्धारित कर रही है पतंजलि
हरिद्वार, 15 मई– पतंजलि योगपीठ में पांच दिवसीय योग शिक्षक प्रशिक्षण शिविर के नये शिविर में देश के लगभग पांच हजार युवा योगनिष्ठ भाई बहिनों के साथ अनेक विदेशी भाई-बहिनों ने भी पतंजलि के इस योग शिविर में हिस्सा लिया। पतंजलि योगपीठ परिसर में चल रहे इस योग शिक्षक प्रशिक्षण शिविर में पधारे योगाचार्यों से स्वामी जी ने राष्ट्र की एक सूत्र ब)ता हेतु देश के प्रत्येक वर्ग के व्यक्ति को इस योग अभियान से जोड़ने की घोषणा की और कहा योग, आयुर्वेद एवं वैदिक संस्कृति हमारा मूल आधार है। इसी क्रम में स्वामी जी ने आगामी 21 जून के अंतरराष्ट्रीय योगदिवस को सफल बनाने का आवाहन किया।
इस अवसर पर योगऋषि पूज्य स्वामी रामदेव जी महाराज ने बताया कि 18 से 21 जून तक पतंजलि इस बार का अंतरराष्ट्रीय योगदिवस समारोह अहमदाबाद में आयोजित करेगी। गुजरात के अहमदाबाद में योगचिकित्सा-योगविज्ञान नाम से चलने वाले इस शिविर की सफलता हेतु सम्पूर्ण गुजरात के प्रत्येक मोहल्ला, गांव, तहसील स्तर पर पूर्व से ही योग कक्षायें चलाकर लोगों को योग के प्रति जागरूक किया जायेगा। स्वामी जी ने कहा इसी के साथ सम्पूर्ण देश के प्रत्येक गांव-गांव में जाकर कुल पांच हजार योगकक्षायें पतंजलि के कार्यकर्तागण आयोजित करेंगे।
पूज्य योगऋषि स्वामी जी महाराज ने शिविरार्थियों को देश के सवा सौ करोड़ भारवासियों को देश के लिए श्रेष्ठतम उपयोगी बनाने हेतु उन्हें योगाभ्यास से जोड़कर योगी एवं निरोगी एवं सहयोगी बनाने पर बल दिया। स्वामी जी ने बताया कि पतंजलि का 100 प्रतिशत प्राफिट एजूकेशन, आयुर्वेदिक रिसर्च व गौअनुसंधान के साथ-साथ देश के शहीदों के बच्चेां की शिक्षा के लिए लगाया जायेगा, इस प्रकार भविष्य में पतंजलि एक लाख करोड़ की चैरिटी करने का लक्ष्य निर्धारित कर रहा है।
योगऋषि पूज्य स्वामी रामदेव जी ने बताया कि हम स्वभाव, संस्कार एवं रक्त सेयोगी हैं। हम योगीऋषि-ऋषिकाओं की संतानें होने के कारण हमारा जीवन भी योगी जैसा होना चाहिए। चूंकि 21वीं सदी योगसंस्कृति की सदी है, और आगामी काल में यौगिक संस्कृति ही विश्व की संस्कृति बनेगी अतः इस संदर्भ में हमारी भूमिका विश्व स्तर पर सर्वश्रेष्ठ होनी चाहिए।
स्वामी जी ने हमारा भारत आगामी दिनों आधयात्मिक, आर्थिक और राजनैतिक महाशक्ति् बनने जा रहे हैं। और योग-अधयात्म के माधयम से ही विश्व में इसका आगाज होगा। इसलिए भी आवश्यक है कि योग हमारी जीवन पद्धिति बने।