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अद्भुत पुस्तक योग-विज्ञानम् का अभूतपूर्व विमोचन
तृतीय अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस के महान अवसर पर योग विज्ञान के गूढ़ रहस्यों से युक्त अद्भुत ग्रंथ “योग-विज्ञानम्” का देश के कई शहरों में एक साथ हिन्दी व अंग्रेजी भाषाओं में लोकार्पण हुआ। यह ग्रन्थ आम व्यक्ति से लेकर विश्वविद्यालय तक के विद्यार्थियों-शोधार्थियों व प्राध्यापकों के लिए अत्यन्त उपयोगी सिद्ध होगा। निगूढ़ योगविद्या के शुद्ध स्वरूप को सरल रूप से समझाने वाली यह पुस्तक युगों-युगों तक ऋषियों के अमूल्य धरोहर के रूप में इस धरा पर रहकर जिज्ञासुओं का मार्गदर्शन करती रहेगी। अहमदाबाद में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमित शाह जी, गुजरात के मुख्यमंत्री श्री रमणीक लाल रूपानी जी, श्रद्धेय स्वामी रामदेवजी महाराज व पूज्य संत श्री रमेशभाई ओझा जी के सान्निध्य में, असम के नलबारी जिले में माननीय मुख्यमंत्री श्री सर्वानंद सोनोवाल, राज्य के आयुष, स्वास्थ्य व वित्तमंत्री श्री हिमन्ता विश्व शर्मा जी, उद्योगमंत्री श्री चन्द्रमोहन पटोवारी जी तथा पुस्तक के लेखक ऋषिकल्प आचार्य बालकृष्ण जी की पावन उपस्थिति में, राजस्थान में मुख्यमंत्री माननीया श्रीमती वसुंधरा राजे सिन्धिया जी, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय श्री शिवराज सिंह चौहान जी, हरियाणा में मुख्यमंत्री माननीय श्री मनोहर लाल खट्टर जी, हिमाचल में महामहिम राज्यपाल आचार्य देवव्रत जी, छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री माननीय श्री रमण सिंह जी, गोवा के मुख्यमंत्री माननीय मनोहर पारिकर जी, झारखण्ड के मुख्यमंत्री माननीय श्री रघुवर दास व झारखण्ड के महामहिम राज्यपाल द्रोपदी मुरमु, आन्ध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय श्री चन्द्रबाबू नायडू जी, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री माननीय देवेन्द्र फड़ंवीस, बैंगलोर के आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर जी महाराज, कर्नाटक के माननीय आयुष निदेशक श्री जवाहर लाल पंवार, तेलंगाना के सांसद श्री विश्वेश्वर रेड्डी व उड़ीसा के राजा व मंदिर के प्रथम सेवक गजपति महाराज व तमिलनाडु के प्रसिद्ध संत हृदयानन्द जी महाराज आदि देश के सभी मुख्य प्रान्तों के मुख्यमंत्री व अन्य प्रतिष्ठित संतों व व्यक्तियों द्वारा एक ही दिन एक ही समय पर 20 से अधिक स्थानों पर विमोचन किया गया।
योग विज्ञानम योग के क्षेत्र की प्रथम पुस्तक है जिसमें योग के सार्वभौमिक, सार्वकालिक व सार्वजनिक स्वरूप, योग के इतिहास, स्वामी जी महाराज द्वारा प्रचारित आठ प्राणायामों की विधि, लाभ, सावधानियां आदि कपालभाति के वास्तविक स्वरूप का विवेचन, प्राणायाम, के द्वारा कुण्डलिनी जागरण की प्रक्रिया, इड़ा-पिंगला व सुषुम्ना नाडि़यों के शास्त्रीय स्वरूप का वैज्ञानिक विवेचन, अष्टचक्र, आत्मतत्व, पिण्ड ब्राह्माण्ड, मानव पिण्ड में आत्मा का प्रवेश आदि विषयों को शास्त्रीय शैली में अभिव्यक्त करने वाली इस तरह की यह योग जगत की प्रथम पुस्तक है। यह पुस्तक श्रद्धेय आचार्यश्री व उनकी टीम की ओर से योग जगत के लिए तृतीय अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर एक अमूल्य व अविस्मरणीय उपहार है।